रजनीकांत की 50वीं वर्षगांठ पर 'कुली' का जादू
थलाइवा रजनीकांत के करियर की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर, निर्देशक लोकेश कनगराज ने एक फिल्म बनाई है जो इस सुपरस्टार को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता रखती है। रजनीकांत के प्रशंसकों का मानना है कि यह फिल्म, 'कुली', स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले रिलीज हुई है। आइए जानते हैं कि यह फिल्म कैसी है।
'कुली' का पहला भाग: एक रोमांचक अनुभव
'कुली' के प्रारंभिक दृश्य से ही, लोकेश कनगराज ने रजनीकांत के प्रशंसकों के लिए एक विशेष पैकेज पेश करना शुरू कर दिया है। सुपरस्टार का पर्दे पर आगमन ही दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। उनके किरदार 'देवा' का निर्माण प्रभावशाली है, और लोकेश एक अनोखी गैंगस्टर कहानी को बुनते हैं। इसमें एक ऐसी मशीन है जो इंसानी शरीर को पल भर में राख में बदल देती है। गैंगस्टर हत्याएँ करके इतनी लाशें इकट्ठा करते हैं कि यह मशीन कभी खाली नहीं रहती। लेकिन इस मशीन के संचालकों की जिंदगी में भी कई राज़ छिपे हैं।
किरदारों का निर्माण और कहानी का विकास
देवा का रहस्य और उसके अतीत को दूसरे भाग के लिए सुरक्षित रखा गया है। पहला भाग पूरी तरह से किरदारों और कहानी के विकास पर केंद्रित है। मलयालम अभिनेता सौबिन शाहिर की ऊर्जा और अभिनय इस भाग की जान है। 'किंगपिन' की भूमिका निभाने वाले नागार्जुन ने नकारात्मकता के नए रंग में पर्दे पर तूफान ला दिया है। लोकेश की कहानी और देवा का निर्माण 'कुली' की पहचान है। पहला भाग इतना प्रभावशाली है कि दर्शकों को ताली बजाने और सीटियाँ बजाने का पूरा मौका मिलता है।
दूसरे भाग में क्या है खास?
पहले भाग के सेटअप के बाद, 'कुली' को दूसरे भाग में जोरदार धमाका करना था। लेकिन इस हिस्से में बारूद की कमी महसूस होती है। कहानी के सस्पेंस और ट्विस्ट उतने प्रभावशाली नहीं हैं जितने होने चाहिए थे। लोकेश को तमिल सिनेमा में खुलासे करने के लिए जाना जाता है, लेकिन 'कुली' के दूसरे भाग में शायद रजनीकांत का आकर्षण उन्हें प्रभावित कर गया। लड़ाई के दृश्य लंबे और एक जैसे लगने लगते हैं।
कैमियो और कहानी की गति
फिल्म के कैमियो दूसरे भाग को लंबा बनाते हैं और कहानी में फिट नहीं बैठते। उपेंद्र की उपस्थिति के बावजूद, उनके किरदार का कोई कहानी-आर्क नहीं है। आमिर की एंट्री तो प्रभावशाली है, लेकिन उनके कैमियो में भी कहानी-आर्क की कमी है। 'कुली' की गति दूसरे भाग में भी थोड़ी गड़बड़ होती है। हालाँकि, एक पीछा करने वाला दृश्य दर्शकों को बांधे रखने में सफल होता है। कुल मिलाकर, 'कुली' रजनीकांत और साउथ फिल्मों के प्रशंसकों का मनोरंजन कर सकती है।
You may also like
धराली में जहां आया था सैलाब वहां अब है मलबे का ढेर, हवा में सड़ांध और अपनों का इंतज़ार करते लोग
प्रेमी को मनाने GF ने लिखा Love लेटर जानूˈ तुम किसी भी लड़की से बोला मत करो ना ही मुस्कुराया
PM मोदी के इन 5 एलानों से फुर्र हो जाएगा ट्रम्प की टैरिफ धमकियों का असर, मंडे को बाजार में होगी बमबम
शौच के लिए गई थी महिला लेकिन पीछे-पीछे आˈ गया देवर। जो देखा उसे देखकर हो गया वहीं बेहोश
किश्तवाड़ घटना के पीड़ितों की आपबीती, 'एकदम से बम फटने की आवाज़ आई, सब धुआं-धुआं हो गया'